कोरोना के साथ प्रकृति ने भी किसानों को किया तबाह,दो मरे भी

प्रकृति की किसानों पर पड़ी मार, ओले पड़ने से तबाह हुई गेहूं की खड़ी फसलें 
एक महिला समेत दो की गई जान



महुली थाना क्षेत्र के अलग अलग गांव के है दोनों मृतक



रिपोर्ट केदार नाथ दूबे



संतकबीरनगर संवाददाता। लाकडाउन के बीच खेतों मे खड़ी फसलों को सहेज गेहूं के दानों को घर मे पहुंचाने की जुगत मे जुटे किसानों पर रविवार को पड़ी प्रकृति की मार ने उनके भविष्य को भी संकट मे डाल दिया है। अपने खून पसीने से अनाज पैदा करके लोगों की भूख मिटाने वाला किसान यूं तो आजादी के बाद से ही हुकूमतों के दोहरी मानसिकता वाली नीतियों से परेशान ही होता रहा है लेकिन जब प्रकृति भी इन्ही किसानों की नियति से क्रूर मजाक करने लगे तो  किसानों के हौंसले भी धूल धूसरित हो उठते हैं। महुली थाना क्षेत्र के ग्राम पानाराम निवासी शिवनाथ यादव ने बताया कि रविवार को जब किसान खेतों मे खड़ी गेहूं के फसल की कटाई और मडाई मे जी जान से जुटा था तो उसी समय तेज हवा के साथ शुरू हुई बारिश और ओले से खड़ी फसल बर्बाद हो गई। बारिश बन्द हुई तो खेत मे पहुंचा किसान अपनी फसलों को बर्बाद हुआ देख कर मुर्छित सा हो गया। सिर पर हाथ धरे किसान अपना संकट मय भविष्य देख परेशान नजर आ रहे थे। किसानों का कहना है कि लाकडाउन के चलते आय के अन्य श्रोत तो पहले से ही बन्द थे, खेतों मे तैयार खडी रवि की फसलों के सहारे ही जीवन यापन की तैयारी थी। अब जब प्रकृति के कहर से आखिरी उम्मीद भी टूटी तो गृहस्थी चलाना पहाड़ सा लगने लगा है। सवाल यह है कि आखिर प्रकृति के प्रकोप का शिकार हुए देश के इन अन्नदाताओं की मदद के लिए कौन खडा होगा । वही इसी दौरान थाना क्षेत्र के ग्राम जिगना निवासी एक 64 वर्षीय महिला राजदेई पत्नी स्व लाला की पत्नी आंधी तुफान का शिकार हो गई और आम के पेंड़ के नीचे दबने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई । मृतका के बेटे रविन्द्र कुमार ने बताया कि रविवार को वह उसकी पत्नी सुमित्रा देवी , पुत्री खुशबू  व मां राजदेई रविवार को गांव के दक्षिण सिवान में गेहूं की मड़ाई करवा रहे थे साम पांच बजे के आसपास अचानक तेज आंधी के साथ बारिश व ओला पड़ने लागा जिसके कारण मैं और मेरी पत्नी व बेटी तथा मां खेत से भाग कर जान बचाने के लिए थोड़ी दूर पर स्थित गांव के ही नहर के पास एक मकान में छिपने के लिए चला पत्नी व बेटी मेरे साथ उक्त मकान पर पहुंच कर मां का इंतजार करने लगा लेकिन मां हम लोगो तक नहीं पहुंच सकी और बीच में ही एक आम के पेड़ के पास छिप गयी इसी दौरान तेज हवा के कारण आम का विशाल पेड़ गीर गया जिसके नीचे दब कर मेरी मां राजदेई 64 वर्ष की मौत हो गयी । मां की मौत से आहत रविन्द्र , पत्नी सुमित्रा देवी ,व  10 वर्षीय बेटी खुशबू का रो रो कर बुरा हाल था वहां मौजूद हर किसी की आंखे नम थी ।वही दूसरी घटना महुली थाना क्षेत्र के ही ग्राम कोल्हुआ में रविवार को ही घटी जब ग्रीशचन्द्र राजभर पशुओं को चारा डालने चरन पर गया था उसी समय अचानक आंधी व तुफान आने से पास में मौजूद चीलबिल का पेड़ चरन पर गीर पड़ा जिससे पेड़ के नीचे दबने से ग्रीसचन्द्र राजभर की मौके पर मौत हो गयी । ग्राम प्रधान कोल्हुआ श्रवण कुमार त्रिपाठी व हल्का लेखपाल मोहन लाल ने बताया कि मृतक गिरीश चन्द्र राजभर गांव के ही बलराम तिवारी के घर लगभग 25 वर्षो से रहता था और वह कुछ मंद बुद्धी का था बलराम तिवारी ही उसका भरण पोषण करते थे और वह घर पर रहकर पशुओं का देख भाल करता था उसके घर व माता पिता का कोई पता नहीं था ग्राम प्रधान ने बताया की  महुली पुलिस के मौजूदगी में पंचनामा बनवाकर गिरीश चंद की लाश को बलराम त्रिपाठी को सुपुर्द कर दिया गया है ।


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form