किसानों के लिए कृषि अनुसंधान परिषद हमेशा तैयार

 नई दिल्ली।।कृषि सेक्‍टर पर कोविड-19 के प्रभावों को न्‍यूनतम करने तथा किसानों की समस्‍याओं के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा सरकारी पहल में अनेक तरह से सहयोग किया जा रहा हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लॉकडाउन अवधि के दौरान ICAR के कार्यों की समीक्षा कर दिशा-निर्देश दिए। ICAR के तीन अनुसंधान संस्‍थानों में कोविड-19 जांच हो रही है, सभी कृषि वि.वि. को कक्षाएं ऑनलाइन लेने को कहा गया, कृषि विज्ञान केन्‍द्रों से करोड़ों किसानों को सलाह दी गई है।

कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा की गई समीक्षा के दौरान महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने जानकारी दी कि ICAR ने अपने अनुसंधान संस्‍थानों, कृषि विज्ञान केन्‍द्रों व कृषि विश्‍वविद्यालयों के देशव्‍यापी नेटवर्क के माध्‍यम से समयबद्ध रूप से किए जाने वाले कृषि कार्यों यथा कटाई, फसलोत्‍तर प्रसंस्‍करण, अनाज, फलों, सब्जियों, अण्‍डों, मीट व मत्‍स्‍य का भण्‍डारण एवं मार्केटिंग जैसे कार्य करते समय किसानों एवं अन्‍य हितधारकों को सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत अपनाने, सावधानी बरतने और सुरक्षा उपायों को अपनाने पर सचेत किया है। ICAR ने किसानों के लिए राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य-विशिष्‍ट परामर्श जारी किया, जिसे 15 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करके डिजीटल प्‍लेटफार्म के माध्‍यम से इसका व्‍यापक प्रचार-प्रसार किया और किसानों को लॉकडाउन अवधि के दौरान खेती से जुड़े कार्यों के लिए मिली सरकारी छूट के बारे में जानकारी दी गई।

श्री तोमर के निर्देश पर एम-किसान पोर्टल से कृषि विज्ञान केन्‍द्रों ने राज्‍यों में 1126 परामर्श जारी कर साढ़े पांच करोड़ किसानों तक पहुंच बनाई। परामर्श संदेश भाकृअनुप की वेबसाइट एवं केवीके पोर्टल पर भी उपलब्‍ध कराया है, जहां पंजीकृत लाखों हितधारकों द्वारा इन्‍हें डाउनलोड किया जा रहा है। गेहूं, चावल, मक्‍का, दलहन, कदन्‍न, तिलहन, गन्‍ना तथा रेशा फसलों पर ICAR के अनुसंधान संस्‍थानों ने डिजीटल संचार माध्‍यमों को अपनाया है और आईसीटी प्‍लेटफार्म, सोशल मीडिया, फसल विशिष्‍ट ऐप एवं विशेषज्ञ प्रणालियों के माध्‍यम से परामर्श का प्रसार किया गया। बागवानी से जुड़े किसानों को आम, नींबूवर्गीय फल, केला, अनार, अंगूर, लीची, मसाले, फूल, सब्जियां, तरबूज और खरबूज जैसी फसलों; नारियल, सुपारी, कोको जैसी रोपण फसलों एवं कंदाकार फसलों में समुचित फसल उत्‍पादन एवं बचाव प्रौद्योगिकियों पर परामर्श जारी किए जा रहे हैं। साथ ही उद्यमियों, निजी फर्मों तथा राज्‍य सरकारों को फूल, सब्‍जी एवं फल उत्‍पादों के प्रसंस्‍करण, मूल्‍यवर्धन और मार्केटिंग के लिए प्रौद्योगिकियों का विस्‍तार किया गया है। प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली सब्जियों व फलों पर परामर्श देकर जागरूक किया जा रहा है। पेरिशेबल उत्‍पादों के जीवनकाल बढ़ाने हेतु फसलोत्‍तर न्‍यूनतम प्रसंस्‍करण एवं मूल्‍यवर्धन के लिए सरल प्रौद्योगिकियों पर परामर्श जारी किए गए हैं।

ICAR के अंतर्गत मात्स्यिकी अनुसंधान संस्‍थानों द्वारा मत्‍स्‍य पालन में शामिल विभिन्‍न हितधारकों तक परामर्शी प्रसार करने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार  (IEC)  सामग्री को तैयार किया गया। डिजीटल माध्‍यमों से व्‍यापक प्रचार प्रसार करने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री को राष्‍ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड को उपलब्‍ध कराया गया। परिषद के डेयरी, पशुधन और पोल्‍ट्री अनुसंधान संस्‍थानों द्वारा कोरोना वायरस रोग के विरूद्ध लोगों में प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए पशुओं की फीडिंग, प्रजनन एवं स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के साथ साथ दूध, अण्‍डा एवं चिकन के न्‍यूनतम प्रसंस्‍करण के बारे में जागरूकता का सृजन किया जा रहा है।

ICAR के शिक्षा प्रभाग द्वारा सभी कृषि विश्‍वविद्यालयों के कुलपतियों को परामर्श जारी कर ऑनलाइन मोड में कक्षाएं लेने के लिए कहा गया है। अधिकांश विश्‍वविद्यालयों द्वारा पहले से ही विभिन्‍न ऑनलाइन मैकेनिज्‍म के माध्‍यम से कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।

ICAR द्वारा अपने तीन अनुसंधान संस्‍थानों– भारतीय पशु चिकित्‍सा अनुसंधान संस्‍थान, इज्‍जतनगर, उत्‍तर प्रदेश; राष्‍ट्रीय उच्‍च सुरक्षा पशु रोग संस्‍थान, भोपाल, मध्‍यप्रदेश; तथा राष्‍ट्रीय अश्‍व अनुसंधान केन्‍द्र, हिसार, हरियाणा को कोविड-19 की जांच करने के लिए अधिसूचित किया गया है।

  कृषि मंत्री श्री तोमर के निर्देश पर क्‍वारन्‍टाइन सुविधाओं में उपयोगहेतु राज्‍यों में संस्‍थानों के अतिथि गृह उपलब्‍ध कराए गए है, कोविड-19 की जांच हेतु आरटी–पीसीआर मशीनें व कर्मचारी दिए गए है, प्रभावित गरीबों को भोजन उपलब्‍ध कराया जा रहा है। डेयर/भारतीय कृषि अनुसंधान परिवार द्वारा पीएम-केयर्स फण्‍ड में 6.06 करोड़ रू. योगदान किया गया है। परिषद द्वारा ऐसे प्राणिरूजा/संबंधित रोगों पर अनुसंधान को और अधिक मजबूती प्रदान की जाएगी जिसके लिए चिडि़याघर के एवं अन्‍य वन्‍यप्राणियों में ऐसे रोगों का अध्‍ययन किया जाएगा। भविष्‍य में परिवर्तनशील जलवायु के अंतर्गत वायरस एवं अन्‍य रोगजनकों के कारण फसलीय पौधों में ऐसी समस्‍याओं का समाधान करने की दिशा में अनुसंधान प्रयास प्रारंभ किए जाएंगे।


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form