ऐसा मदद करते है किसी को पता भी न चले
जौनपुर। कोरोना काल में जिले से ऐसे-ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं जो लोगों की मदद तो करते हैं लेकिन कोशिश रहती है कि किसी को पता भी न चले। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने करीब पौने 2 लाख मास्क मुफ्त में बांट दिए। कुछ ऐसे भी हैं जो रात में जरूरतमंदों के दरवाजे पर राशन और रुपये लेकर पहुंच जाते हैं। इनका मकसद सिर्फ इतना है कि जो भूखे हैं उन्हें खाना मिल जाए, कोरोना से बचने के लिए जो मास्क नहीं खरीद सकते उन्हें मास्क मुहैया करा दिया जाय। इन सबके के एवज में वो फोटो खिंचवाना तो दूर अपने द्वारा दी गई मदद को बताने से भी कतरा रहे हैं। नगर के बलुआघाट निवासी पूर्व सभासद शाहिद मेहदी व्यवसायी हैं। लॉकडाउन लगा तो लोगों के काम-धाम बंद हो गए। दिहाड़ी करने वालों की भी आमदनी बंद हो गई। बहुत दबाव देकर पूछने पर शाहिद बताते हैं कि निचला तबका इधर-उधर मांग कर और सरकारी मदद से काम चला लेता है, लेकिन जो मध्यम वर्ग था वो खुद्दारी में किसी से ले भी नहीं पा रहा था। इसके बाद वो अपने भाई कुमेल मेहदी के साथ रात को निकलने लगे। निचले तबके के लोगों को राशन बांटा ही, जिन मध्यम वर्गीय परिवार की माली हालत खस्ता हो चुकी थी उनके दरवाजे खटखटा कर बिना कुछ पूछे राशन का पैकेट और कुछ रुपये भी थमा आते। बलुआघाट, ताड़तला, मुफ्तीमोहल्ला, पानदरीबा, हैदरपुर, कोरापट्टी, नईगंज, शाही ईदगाह के पीछे समेत करीब 25 मोहल्ले में हर धर्म के लोगों की मदद की जा रही है। शाहिद अब तक गिन नहीं पाए कि उन्होंने कितनों की मदद कर दी। नगर के रासमंडल निवासी दिलीप व्यवसायी हैं। सरकार से सहायत प्राप्त हुई तो झोला बनाने का कारखाना डाल लिया। फरवरी में कोरोना ने चीन सहित कुछ देशों में दस्तक दी तो भारत में मास्क पहनने और हाथ धुलने के लिए प्रेरित किया जाने लगा। मास्क पहनने पर कोरोना से बचाव की बात आई तो दिलीप ने जन सेवा का मन बनाया। फरवरी के अंतिम सप्ताह में ही झोला बनाना बंद कर उन्होंने कारखाने में मास्क बना कर मुफ्त बांटना शुरू कर दिया। उद्देश्य ये भी था कि कालाबाजारी से लोगों को महंगा मास्क न खरीदना पड़े। दिलीप बताते हैं कि अब तक एक लाख पैंसठ हजार मुफ्त मास्क बांट चुके हैं। लगातार मास्क बांटने का काम चल रहा है। अभी उनके पास करीब 8 लाख मास्क बनाने का सामान मौजूद है।