मोदी है तो यसस्वी गृहमंत्री मंत्री मिला

" देश के योग्यतम गृह मंत्री अमित शाह वमोदी है तो मुमकिन है", यह नारा पिछले लोकसभा चुनावों में जमकर चला। यह भारतीय मतदाताओं को भी खूब भाया और 2014 की तुलना में ज्यादा सीटें देकर जनता ने नरेन्द्र मोदी को फिर से देश की कमान सौंपी। दोबारा सत्ता में आने के बाद 'मोदी है तो मुमकिन है' के नारे को सार्थक बनाने में जिस एक शख्स की भूमिका निर्णायक बनकर देश के समक्ष साबित हो रही है वह गृह मंत्री अमित शाह हैं। नागरिकता संशोधन बिल को पारित कराने के बाद कहा जा सकता है कि अमित शाह "मोदी के मुमकिन मैन" बनकर उभरे हैं। जिस दमदारी के साथ वह गृह मंत्री के रूप में निर्णय ले रहे हैं उससे उन्हें मैन ऑफ डिसीजन भी कहा जा सकता है। नागरिकता संशोधन बिल पर संसद के दोनों सदनों में उनके वक्तव्यों और भाव-भंगिमा को अगर ध्यान से विश्लेषित किया जाए तो आसानी से समझा जा सकता है कि अब भारत में ऐसी सरकार का दौर है जो पॉलिसी पैरालाइसिस की जगह आक्रामकता और नेशन फर्स्ट को आगे रखकर निर्णय लेती है।


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