बस्ती कौटिल्य वार्ता।15दिसम्बर,कुछ अनजान लोगों द्वारा खड़े किए जा रहे सवाल कि फिरोज खान संस्कृत क्यों नहीं पढ़ा सकते इसका उत्तर एक ही है कर्मकांड को वही पढ़ा सकता है जिसने कर्मकांड जिया हो। जैसे कर्मकांड के आप उर्दू में अजान नहीं पढ़ सकते और हम उर्दू में कर्मकांड नहीं कर सकते फिरोज खान कैसे प्राच्य विद्या संकाय में कर्मकांड की भाषा पढ़ा सकते हैं जिसने कर्मकांड न पढ़ा न पढ़ाया और नप्रयोग किया उसे कर्मकांड पढ़ाने और पढ़ने की बात बेमानी है ।जो भी विद्वान काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कर्मकांड विभाग में फिरोज के नियुक्ति की वकालत कर रहे हैं वह बौद्धिक दिवालियापन के शिकार हैं। हर चीज की भाषा होती है उस भाषा की मर्यादा में काम करना चाहिए अगर कोई यह कहता है कर्मकांड की भाषा उर्दू हो सकती है तो मुझे लगता है कि वह नासमझ है उक्त बातें पूर्वांचल विद्ववत परिषद के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने एक संक्षिप्त गोष्ठी में व्यक्त करते हुए कहा उन्होंने कहा उर्दू और अरबी फारसी में सनातन परंपरा की कोई भी कर्मकांड नहीं हो सकते उसी तरह से संस्कृत में मुस्लिम परंपरा का कोई कर्मकांड नहीं हो सकता ।
अगर कोई कह रहा है तो वह सामाजिक सौहार्द सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहा है ।